छोटे से गांव के एक कोने में, रमेश का एक छोटा सा खेत था। वह अपने खेत में टमाटर उगाता था और उनका व्यापार करता था। लेकिन हाल के कुछ हफ्तों से, उसकी फसल में अजीबोगरीब घटनाएं घट रही थीं। रातोंरात उसके टमाटर सड़ जाते थे, जैसे किसी ने उन पर जादू कर दिया हो। गांववाले अंधविश्वासों में विश्वास करने लगे और कहने लगे कि यह किसी आत्मा का काम है।
रमेश का बेटा, रोहित, जो एक साहसी और चतुर युवक था, इस रहस्य को सुलझाने का निर्णय लिया। उसे विश्वास था कि इस समस्या के पीछे कोई और वजह होगी। एक रात, रोहित ने खेत की पहरेदारी करने का फैसला किया। उसने अपनी जेब में टॉर्च और एक छोटा सा कैमरा रखा, ताकि वह किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रिकॉर्ड कर सके।
रात का अंधेरा गहराता गया और रोहित ने खुद को एक पेड़ के पीछे छुपा लिया। आधी रात के बाद, उसे खेत में कुछ हलचल होती दिखी। उसने ध्यान से देखा और पाया कि कुछ अजनबी लोग खेत में घुसकर टमाटरों पर कुछ छिड़क रहे थे। रोहित ने तुरंत कैमरा चालू कर दिया और उन लोगों की हरकतों को रिकॉर्ड करने लगा।
अगली सुबह, रोहित ने अपने पिता रमेश को पूरी घटना बताई और कैमरे का फुटेज दिखाया। रमेश ने गांव के मुखिया और पुलिस को बुलाया और सबूतों के आधार पर उन अजनबियों की पहचान की। वे लोग गांव के पास के एक गांव के व्यापारी थे, जो रमेश के व्यापार को खत्म करना चाहते थे ताकि उनका व्यापार बढ़ सके।
पुलिस ने उन अजनबियों को गिरफ्तार कर लिया और उनका सारा षड्यंत्र उजागर हो गया। गांववाले अंधविश्वास से बाहर निकल आए और उन्होंने रोहित की बहादुरी और चतुराई की सराहना की। रमेश ने अपने बेटे को गले लगाते हुए कहा, "तुमने हमारी खेती और हमारी इज्जत दोनों बचाई हैं। मुझे तुम पर गर्व है।"
इस घटना के बाद, गांव में शांति लौट आई और रमेश का खेत फिर से हरे-भरे टमाटरों से भर गया। गांववालों ने सीख लिया कि अंधविश्वासों पर भरोसा करने के बजाय सच्चाई और विज्ञान में विश्वास करना चाहिए।
रोहित की इस कहानी ने यह साबित कर दिया कि साहस और चतुराई के साथ किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। "सड़े हुए टमाटर" की यह कहानी अब गांव में बहादुरी और सत्य की मिसाल बन गई।