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ईमानदार लकड़हारा

moral story for kids in hindi


नदी के किनारे लकड़हारा

बहुत समय पहले की बात है, एक गरीब लकड़हारा जंगल में पेड़ काटकर अपनी रोज़ी-रोटी कमाता था। वह बहुत ईमानदार और मेहनती था। एक दिन, जब वह नदी किनारे लकड़ी काट रहा था, उसका कुल्हाड़ा हाथ से फिसलकर नदी में गिर गया।

लकड़हारा बहुत परेशान हो गया, क्योंकि वही उसका एकमात्र साधन था जिससे वह अपना जीवन यापन करता था।

नदी से प्रकट होती जलपरी

लकड़हारा दुखी होकर नदी किनारे बैठ गया। तभी अचानक, नदी से एक जलपरी प्रकट हुई और बोली,

"हे लकड़हारे, तुम इतने दुखी क्यों हो?"

लकड़हारे ने सच्चाई बताई,
"मेरा कुल्हाड़ा नदी में गिर गया है, मैं अब काम नहीं कर पाऊँगा।"

जलपरी मुस्कुराई और बोली,
"मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।"

जलपरी की परीक्षा

जलपरी नदी में गई और एक सोने का कुल्हाड़ा लेकर लौटी।

"क्या यह तुम्हारा कुल्हाड़ा है?" उसने पूछा।

लकड़हारे ने ईमानदारी से जवाब दिया,
"नहीं, मेरा कुल्हाड़ा लोहे का था।"

जलपरी मुस्कुराई और फिर से नदी में गई।

इनाम और खुशी

इस बार जलपरी चाँदी का कुल्हाड़ा लेकर लौटी और फिर से पूछा,

"क्या यह तुम्हारा कुल्हाड़ा है?"

लकड़हारे ने फिर इंकार कर दिया।

तीसरी बार, जलपरी लकड़हारे का असली लोहे का कुल्हाड़ा लेकर आई। उसे देखकर लकड़हारा खुश हो गया और बोला,
"हाँ, यही मेरा कुल्हाड़ा है!"

लकड़हारे की ईमानदारी देखकर जलपरी प्रसन्न हुई और इनाम में उसे तीनों कुल्हाड़े दे दिए।


सीख:

"ईमानदारी का हमेशा इनाम मिलता है।"

खरगोश और कछुआ की नई सीख

Rabbit and Tortoise Story


जंगल की दौड़

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक तेज़ दौड़ने वाला खरगोश रहता था। वह अपनी तेज़ी पर बहुत घमंड करता था और दूसरों को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता था। एक दिन उसने कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए कहा,

"तुम इतने धीमे हो, तुमसे तो घास भी तेज़ी से बढ़ती है!"

कछुए ने शांत भाव से उत्तर दिया,
"गति नहीं, धैर्य और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है।"

खरगोश ने हँसते हुए कहा,
"अगर ऐसा है तो आओ, हम दोनों दौड़ लगाएँ।"

कछुए ने चुनौती स्वीकार कर ली।

दौड़ की शुरुआत

जंगल के सभी जानवर इस दौड़ को देखने के लिए इकट्ठे हुए। जैसे ही दौड़ शुरू हुई, खरगोश बहुत तेज़ दौड़ा और जल्द ही कछुए से बहुत आगे निकल गया। उसने सोचा,
"कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे आ रहा है, मैं ज़रा आराम कर लेता हूँ।"

वह एक पेड़ के नीचे बैठा और कुछ ही देर में सो गया।

कछुए की मेहनत

कछुआ बिना रुके, धीरे-धीरे चलता रहा। उसने हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ता रहा। जब वह खरगोश के पास पहुँचा, तो खरगोश गहरी नींद में था। कछुए ने बिना रुके अपना सफर जारी रखा।

जीत की खुशी

जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ फ़िनिश लाइन पार कर चुका है और सब जानवर उसकी जीत का जश्न मना रहे हैं। खरगोश को अपनी गलती समझ में आ गई।


सीख:

"घमंड और आलस्य सफलता में बाधा बनते हैं, जबकि निरंतर मेहनत ही जीत दिलाती है।"