हिमाचल प्रदेश के एक दूरस्थ गांव में, समुद्र के किनारे एक पुराना लाइटहाउस स्थित था। इस लाइटहाउस को 'तूफानों का प्रहरी' कहा जाता था क्योंकि यह वर्षों से कई तूफानों को झेल चुका था और नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता आया था। लाइटहाउस का रखरखाव एक बूढ़ा माली, बलदेव, करता था, जो वहां अकेले रहता था।
एक रात, मौसम विभाग ने चेतावनी दी कि एक भयंकर तूफान आने वाला है। गांववाले सुरक्षित स्थान पर चले गए, लेकिन बलदेव लाइटहाउस में ही रहने का फैसला किया। उसे विश्वास था कि वह लाइटहाउस की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
रात का अंधेरा गहराता गया और तूफान के भयानक संकेत मिलने लगे। समुद्र की लहरें ऊँची उठने लगीं और हवाएँ तेजी से चलने लगीं। बलदेव ने लाइटहाउस की सभी खिड़कियाँ बंद कर दीं और लाइट को पूरी ताकत से जलाया ताकि किसी भी नाविक को दिशा मिल सके।
तूफान की गर्जना से लाइटहाउस हिलने लगा, लेकिन बलदेव अपने कर्तव्यों को निभाता रहा। अचानक, उसे लाइटहाउस के नीचे से अजीब-सी आवाजें सुनाई देने लगीं। बलदेव ने हिम्मत जुटाई और मशाल लेकर नीचे उतर गया।
नीचे पहुंचकर, उसने देखा कि लाइटहाउस के बेसमेंट में एक गुप्त दरवाजा है जो अब खुला हुआ था। दरवाजे के पीछे की सुरंग में अंधेरा था और अजीब-सी गंध आ रही थी। बलदेव ने सोचा कि यह सुरंग शायद लाइटहाउस के निर्माण के समय बनाई गई हो, लेकिन उसने पहले कभी इसका सामना नहीं किया था।
हिम्मत करते हुए, बलदेव सुरंग के अंदर बढ़ता गया। सुरंग में घुसते ही उसे ठंडी हवाएं महसूस होने लगीं। सुरंग के अंत में एक बड़ी सी गुफा थी, और वहां एक अजीब-सी मशीन लगी हुई थी। मशीन के पास कुछ अजनबी लोग खड़े थे, जो कुछ संदिग्ध काम कर रहे थे।
बलदेव ने धीरे-धीरे छुपकर उनकी बातें सुनीं। वे लोग तस्कर थे और समुद्र के रास्ते मादक पदार्थों की तस्करी कर रहे थे। तस्करों ने लाइटहाउस का इस्तेमाल अपने माल को छुपाने के लिए किया था, और तूफान का फायदा उठाकर वे अपना काम कर रहे थे।
बलदेव ने तुरंत अपनी चतुराई का इस्तेमाल किया। उसने अपने मोबाइल से पुलिस को सूचना दी और तस्करों की बातचीत रिकॉर्ड की। वह चुपके से वापस लाइटहाउस की ओर बढ़ गया और पुलिस के आने का इंतजार करने लगा।
कुछ ही समय बाद, पुलिस ने लाइटहाउस को घेर लिया और तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। बलदेव की बहादुरी और चतुराई के कारण गांववालों को एक बड़ा संकट टल गया। तस्करों को कानून के शिकंजे में डाल दिया गया और लाइटहाउस को फिर से सुरक्षित बना दिया गया।
तूफान के बाद, गांववालों ने बलदेव की बहादुरी का सम्मान किया और उसे गांव का हीरो माना। बलदेव ने मुस्कुराते हुए कहा, "लाइटहाउस ने वर्षों से हमारी सुरक्षा की है, आज मैंने उसकी सुरक्षा का कर्तव्य निभाया है।"
इस तरह, बलदेव की बहादुरी की कहानी गांववालों के दिलों में बस गई और 'तूफान की एक रात लाइटहाउस में' की कहानी एक प्रेरणा बन गई।
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