एक घने जंगल में, बबलू नाम का एक छोटा सा हाथी रहता था। एक दिन, बबलू जंगल में घूम रहा था कि उसे एक रंगीन पतंग दिखाई दी जो एक ऊँचे पेड़ की शाखा में फँसी हुई थी। बबलू ने पतंग को निकालने की बहुत कोशिश की, अपनी सूंड को ऊपर उठाया, लेकिन वह पतंग तक नहीं पहुँच सका। वह बहुत निराश हो गया। तभी, वहाँ से चींटी रानी अपनी सहेलियों के साथ गुज़र रही थीं। बबलू ने उनसे मदद मांगी। चींटी रानी ने कहा, "ज़रूर बबलू, हम तुम्हारी मदद करेंगे।"
सारी चींटियाँ मिलकर पेड़ पर चढ़ने लगीं। वे धीरे-धीरे पतंग के पास पहुँचीं और उसे कुतरना शुरू कर दिया। कुछ देर में, पतंग पेड़ से आज़ाद हो गई और नीचे गिर गई। बबलू बहुत खुश हुआ और उसने चींटी रानी और उनकी सहेलियों को धन्यवाद दिया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में शक्ति होती है और मिलजुलकर काम करने से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है।
छोटी चिड़िया और मीठा जामुन
एक घने जंगल में एक छोटी और प्यारी चिड़िया रहती थी, जिसका नाम था चिंकी। चिंकी बहुत खुशमिजाज थी और उसे गाने गाना बहुत पसंद था।
एक दिन, चिंकी जंगल में उड़ रही थी। उड़ते-उड़ते उसे एक पेड़ पर एक बहुत ही मीठा और पका हुआ जामुन दिखाई दिया। जामुन देखकर चिंकी के मुँह में पानी आ गया।
चिंकी जामुन के पास गई, लेकिन जामुन थोड़ा ऊँचाई पर था। चिंकी ने जामुन तक पहुँचने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह पहुँच नहीं पा रही थी। चिंकी थोड़ी उदास हो गई।
तभी वहाँ एक गिलहरी आई, जिसका नाम था गिल्लू। गिल्लू बहुत शरारती था लेकिन दिल का बहुत अच्छा था। गिल्लू ने चिंकी को उदास देखा और पूछा, "चिंकी बहन, तुम इतनी उदास क्यों हो?"
चिंकी ने गिल्लू को जामुन के बारे में बताया।
गिल्लू ने जामुन को देखा और बोला, "अरे वाह! यह तो बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा है। चलो, हम दोनों मिलकर कोशिश करते हैं।"
गिल्लू फौरन पेड़ पर चढ़ गया और चिंकी उड़कर जामुन के पास गई। गिल्लू ने जामुन की टहनी को थोड़ा हिलाया और चिंकी ने फुर्ती से जाकर जामुन पकड़ लिया।
जामुन तोड़ने के बाद, चिंकी ने गिल्लू को धन्यवाद दिया। गिल्लू ने कहा, "इसमें धन्यवाद की क्या बात है? हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।"
चिंकी ने जामुन को दो बराबर भागों में बाँटा और एक भाग गिल्लू को दिया।
दोनों ने मज़े से मीठा जामुन खाया। चिंकी और गिल्लू बहुत खुश थे कि उन्होंने मिलकर काम किया और एक-दूसरे की मदद की।
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं और मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है। साथ ही, हमें अपनी चीज़ें दूसरों के साथ बाँटनी चाहिए।
खरगोश और कछुआ
एक जंगल में, एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश बहुत तेज दौड़ता था, और उसे अपनी गति पर बहुत घमंड था। कछुआ धीरे-धीरे चलता था, लेकिन वह बहुत मेहनती था।
एक दिन, खरगोश ने कछुए को दौड़ में भाग लेने के लिए चुनौती दी। खरगोश ने कहा, "मैं तुमसे बहुत तेज दौड़ता हूँ, मैं यह दौड़ आसानी से जीत जाऊँगा।" कछुए ने चुनौती स्वीकार कर ली।
दौड़ शुरू हुई। खरगोश बहुत तेजी से दौड़ा और बहुत जल्द वह कछुए से बहुत आगे निकल गया। खरगोश ने सोचा, "मैं थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ, कछुआ तो बहुत धीरे चल रहा है, मैं उसे आसानी से हरा दूंगा।"
खरगोश एक पेड़ के नीचे सो गया। जब वह उठा, तो उसने देखा कि कछुआ धीरे-धीरे चल रहा है, लेकिन वह अभी भी दौड़ रहा है। खरगोश फिर से दौड़ने लगा, लेकिन कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था।
कछुआ दौड़ जीत गया। खरगोश को बहुत शर्म आई। उसने कछुए से माफी माँगी और कहा, "मुझे अपनी गति पर घमंड नहीं करना चाहिए था। मैंने सीखा कि मेहनत हमेशा जीतती है।"
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा मेहनत करनी चाहिए, क्योंकि मेहनत हमेशा जीतती है।
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