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Chudail Ke Golgappe - Bhoot Ki Kahaniyan | Chudail Wali Kahaniyan


 

 बहुत समय पहले की बात है. एक खुशहाल गांव था. उसके लोग खेती-बाड़ी करके भेड़ बकरियां चरा कर और पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ियां बेचकर खुशहाल जीवन जी रहे थे. गांव के लोगों में आपस में बैर भी नहीं था. सब तरफ खुशहाली थी. 

1 दिन की बात है. एक सुंदर सी स्त्री जो कि गोलगप्पे बेचती थी एक ठेले पर, वह उनके गांव में आती है और गोलगप्पे बेचना शुरु करती है. शुरुआत में गांव वालों को बड़ा आश्चर्य होता है कि इतनी सुंदर औरत और गोलगप्पे बेच रही है ठेल पर. गांव के आदमियों की हिम्मत नहीं होती कि वह उसकी खेल पर जाकर गोलगप्पे खाएं, तो वह अपनी पत्नियों को भेजते हैं. 

गांव की तीन औरतें उसकी ठेल पर गोलगप्पे खाने जाती हैं. उसके गोलगप्पे बहुत ही स्वादिष्ट थे. बातों ही बातों में वह तीनों उससे पूछती हैं कि आप गोलगप्पे क्यों बेच रही हो? आपका कोई पति भाई या पिता नहीं है क्या? वह कहती है कि सब मर चुके हैं. हमारे गांव में महामारी फैली थी जिसकी वजह से सारे लोग मारे गए. मैं अकेली बची हूं, तो पेट पालने के लिए गोलगप्पे बेचती हूं. मैं पास के गांव में रहती हूं और गांव गांव जाकर गोलगप्पे बेचती हूं. उसकी कहानी सुनकर तीनों औरतों को उस पर तरस आ गया उन्होंने और ज्यादा गोलगप्पे खाए.

Bhoot Ki Kahaniyan

पूरा दिन बीत चुका था लेकिन वह तीनों औरतें अपने पतियों के पास वापस नहीं आई. पति लोग बड़े परेशान हो गए और उन्हें ढूंढने निकल गए. उन्होंने गांव का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन उनकी पत्नियां उनको नहीं मिली. तो उन्होंने गांव के सरपंच को यह बात बताई. सरपंच ने गांव की और लोगों को भेज कर उनको ढुँढवाया लेकिन वह नहीं मिली. तो गांव के लोग बड़े निराश हो गए. उनको समझ में नहीं आया कि उनको जमीन खा गई आसमान निगल गया.

1 दिन गांव की 2 मनचले युवक उस गोलगप्पे वाली को देखते हैं और उस को छेड़ने के उद्देश्य से उसके पास आते हैं. वह उस पर ताने और फब्तियां मारते हैं. लेकिन गोलगप्पे वाली उनसे ढंग से बात करती है. वह उनसे कहती है कि उनके गोलगप्पे खा कर उनका मन खुश हो जाएगा, तो वह दोनों मनचले युवक उसको कहते हैं कि तेरे हाथों के गोलगप्पे तो हमें हर हालत में खाने हैं. हम पूरा पूरा ठेला खा जाएंगे. तो गोलगप्पे वाली हंसती है और उनको खूब गोलगप्पे खिलाती है. गोलगप्पे ज्यादा खाने की वजह से उनके पेट में दर्द होने लगता है. और वो दोनों वहां से फारिग होने के लिए भागते हैं. लेकिन रास्ते में ही पेट दर्द इतना तेज हो जाता है कि वह मर जाते हैं. और गोलगप्पे वाली हंसते हुए अपने चुड़ैल वाले रूप में आ जाती है और उनकी आत्माओं को खींच कर अपने अंदर डाल लेती है और उसकी शक्ति थोड़ी और बढ़ जाती है.

गांव वालों को अगले दिन उनकी सूखी और हरी हो चुकी लाशें मिलती हैं. तो गांव वाले डर जाते हैं और उनको समझ में नहीं आता कि उनके संग क्या हुआ है. लेकिन उनको इतना पता चल जाता है कि इनकी साथ किसी काली शक्ति ने कुछ बुरा किया है. इसके बाद अगले कई दिनों तक कुछ और आदमियों की लाशें मिलती हैं. गांव वाले अब बहुत भय में आ जाते हैं.

1 दिन सरपंच की पत्नी उस औरत के ठेले पर आलू की टिक्की खाने गई .उस औरत ने आलू की टिक्की बहुत ही स्वादिष्ट बनाई. सरपंच की पत्नी बहुत ही खुश हो गई तो उसने एक दही पापड़ी बनाने का को और बोला. जब गोलगप्पे वाली दही पापड़ी बना रही थी तो अचानक से थोड़ा दही उसके पैरों पर गिर गया. उसने अपनी साड़ी को थोड़ा सा उठाकर पैरों को झडाया तो सरपंच की पत्नी का ध्यान उसके पैरों की तरफ गया. उसके पैर उल्टे थे. सरपंच की पत्नी को एकदम से डर लगा. लेकिन वह एक बुद्धिमान औरत थी. उसने अपने डर नहीं जताया और ऐसे जताया जैसे उसने उसके पैरों को देखा ही नहीं है. और उसने दही पापड़ी खा लिए. वह वापस अपने पति के पास पहुंची जो कि सरपंच था .उसने सारी बातें बताईं.

सरपंच ने कहा कि जब उसे पता चल चुका था कि वह भूतनी या चुड़ैल है, तो उसने उसके दही पापड़ी क्यों खाए, तो उसकी पत्नी ने बताया कि अब तक गांव के आदमी ही मरे हुए मिले हैं, एक भी औरत मरी हुई नहीं मिली है, इसका मतलब यह कि वह चुड़ैल सिर्फ आदमियों को मारती है और औरतों को कहीं ले जाकर छुपा देती है, हमें यही पता करना है कि वह सारी औरतों को कहां छुपाती है,

सरपंच दिल पर पत्थर रखकर अपनी पत्नी की योजना को पूरा करने को तैयार हो जाता है. योजना के अनुसार सरपंच की पत्नी गांव के जंगल की तरफ जाकर खड़ी हो जाती है. तभी अचानक वह चुड़ैल वह आ जाती है. वह भी अपने असली रूप में. तो सरपंच की पत्नी पहले डर जाती है, फिर वह पूछती है कि तुम कौन हो और हमसे क्या चाहती हो? तो चुड़ैल कुछ नहीं कहती बल्कि अपने जादू से उसको बेहोश कर देती है और अपने कंधे पर उसको उठाकर एक गुफा की तरफ बढ़ जाती है. 

उस चुडेल को पता नहीं होता है कि सरपंच अपने कुछ आदमियों के साथ जलती मशालें लेकर उसके पीछे आ रहा है. वह गुफा के बाहर आकर कहती है कि खुल जा सिम सिम, और गुफा का दरवाजा खुल जाता है. चुड़ैल के घुसने के तुरंत बाद ही सरपंच अपने आदमियों के साथ मशाल लेकर उस गुफा में घुस जाता है. वह दरवाजा बंद हो जाता है. अंदर जाकर चुड़ैल उस औरत को बाहर बैठा देती है. उस औरत को होश आता है और वह देखती है कि बाकी औरतें जो कि गायब हो चुकी थी वह भी वहीं पर थी. 

सरपंच की पत्नी उन औरतों से पूछती है कि यह चुड़ैल क्या चाहती है? तो वह बताती हैं कि यह कुछ नहीं बोलती है बस हंसती रहती है. तो सरपंच की पत्नी उस चुड़ैल से पूछती है कि तुम हमारा क्या करना चाहती हो? तो चुड़ैल कहती है कि अमावस्या आने पर मैं तुम सब का सूप बनाकर पियूंगी. इतने में ही पीछे से सरपंच मशाल लेकर आ जाता है और वह चुड़ैल से कहता है कि अब तू बच नहीं सकती. चुड़ैल हंसती है और कहती है कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. तो इतने में ही बाकी औरतें वहां लगी हुई छोटी-छोटी मसाले अपने हाथों में ले लेती हैं और चुड़ैल की तरफ देखती हैं. चुड़ैल समझ जाती है कि यह क्या करना चाहते हैं. लेकिन इससे पहले को कुछ कर पाती सरपंच अपनी मशाल लेकर चुड़ैल के ऊपर फेंकता है, और बाकी और लोग और औरतें अपनी-अपनी मशालें चुड़ैल के ऊपर फेंक देती हैं. इस से चुड़ैल जल जाती है और पूरी भस्म हो जाती है. इस तरह से गांव के लोग चुड़ैल के प्रकोप से पीछा छुड़ा लेते हैं.

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