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A DEER WHO DID NOT LEARNED - एक हिरन जिसने शिक्षा नहीं ली - MORAL STORY FOR KIDS - बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियाँ | Baccho Ki Kahani

Baccho Ki Kahani


एक दिन एक बारहसिंघा उसके बेटे को एक बुद्धिमान हिरण शिक्षक के पास ले आया। उसने शिक्षक से कहा, 

"मेरे प्यारे शिक्षक, कृपया मेरे बेटे को खुद को खतरे से बचाने के लिए कुछ गुर सिखाएँ!" 

शिक्षक सहमत हो गया और अगले दिन से बेटे को पढ़ाना शुरू कर दिया।

पहले कुछ दिनों के लिए, उन्होंने सबक लिया, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए वो बेचैन होता गया। ख़ुद को ख़तरों से बचाने के लिए गुर सीखने के बजाय उसे खेलने में दिलचस्पी थी। जल्द ही उसने छुट्टियां भी करनी शुरू कर दीं।

एक दिन, खेलते समय, वह एक शिकारी के जाल पर चढ़ गया और फंस गया। जब उसकी मां को घटना के बारे में पता चला, तो वह फूट-फूट कर रो पड़ी। शिक्षक उसके पास गया और कहा, 

"प्रिय बहन, आपके बेटे के साथ जो हुआ उसके लिए खेद है। मैंने उसे सिखाने की कोशिश की, लेकिन वह सीखने को तैयार नहीं था!"

Moral of the Story:-
यदि छात्र सीखने को तैयार नहीं है तो शिक्षक कुछ नहीं कर सकता है।
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One day a reindeer brought her son to a wise deer teacher. He told the teacher,

"My dear teacher, please teach my son some tricks to protect himself from danger!"

The teacher agreed and started teaching the son from the next day.

For the first few days, he took lessons, but as the days passed he became restless. Instead of learning tricks to protect himself from dangers, he was interested in playing. Soon he started taking holidays too.

One day, while playing, he climbed a hunter's trap and got trapped. When her mother came to know about the incident, she wept bitterly. The teacher went to him and said,

"Dear sister, sorry for what happened to your son. I tried to teach him, but he was not willing to learn!"


Moral of the Story:-
If the student is not ready to learn, then the teacher cannot do anything.

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